भवन
पर पहुंचना
पवित्र भवन में पवित्रतम स्थल -पवित्र गुफा है, जो यात्रियों के पहंुचने
का अंतिम लक्ष्य स्थल है। पवित्र गुफा में मातारानी ने स्वयं को पवित्र
पिण्डियों के रूप में प्रकट किया हुआ है। पिण्डियों में माता के तीन
रूप-महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती प्रतीकित हैं। ..और अधिक.....
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जत्था नम्बर प्राप्त करना
यात्रियों को पुनः स्मरण करना है कि उन्होंने यात्रा आरम्भ करने से पूर्व , यात्रा
रजिस्ट्रेशन कांऊटर (वाई आर सी) , कटरा से यात्रा रजिस्ट्रेशन पर्ची प्राप्त कर ली
है। इस पर्ची को बाणगंगा में चैक करवा कर मोहर लगवा ली है कि नहीं। इस पर्ची की सबसे
अधिक महत्वपूर्ण भूमिका भवन पर होती है जहां इस पर्ची को पुनः वैध किया जाता है और
यात्री को जत्था नम्बर (ग्रुप नम्बर) दिया जाता है। यात्रा पर्ची कांऊटर , सामान
जांच चौकी (लगेज चैक पोस्ट) के एकदम निकट बायीं ओर स्थित है। यहां पर यात्रा पर्ची
पर जत्था नम्बर लगा दिया जाता है। इसी जत्था नम्बर से यात्री का दर्शन क्रम और
दर्शन से पूर्व प्रतीक्षा का समय निश्चित हो जाता है।..और
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भवन पर उपलब्ध सुविधाएं
भवन पर आरामदायक दर्शन को सुविधापरक बनाने के लिए श्राइन बोर्ड ने यात्रियों को कई
प्रकार की सुविधाएं प्रधान कर रखी हैं।..और
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दर्शनों की तैयारी
अधिकतर यात्री दर्शनों के लिए आगे बढ़ने से पूर्व स्नान करने को महत्व देते हैं।
पुराने समय में प्रायः तीर्थ यात्री स्नान घाट पर माता के चरणों में बहते जल में
स्नान कर लेते थे। समय बीतने के साथ विशेषकर जब से श्राइन बोर्ड ने प्रबंध संभाला
है, नए स्नान घाट बनाए गए हैं और बहुत सारे शौचालय और स्नान घर बना दिए गए हैं।
पवित्र गुफा से बह कर आने वाले जल को नालियों के द्वारा इन नए स्नान क्षेत्रों में
पहुंचा दिया गया है ताकि श्रद्धालु तीर्थ यात्री चाहे किसी भी स्नान घाट पर स्नान
करे उसे माता के चरणों से निकल रहे जल में स्नान करने का लाभ मिल सके।.........और
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पंक्ति में प्रतीक्षा
जैसे ही यात्री के ग्रुप नंबर को पुकारा या डिस्प्ले बोर्ड पर दिखाया जाता है वह
गेट नंबर 1 की ओर से पंक्ति परिसर की ओर उमड़ पड़ता/पड़ती है। पंक्ति परिसर एक लम्बा
रास्ता (कॉरीडोर) है जो पहले एक के बाद एक दो बड़े प्रतीक्षा हालों में खुलता है और
अंततः पवित्र गुफा के मुख के पास पहंुचता है। ..और अधिक...... More...
नारियल प्रसाद कांऊटर
कभी भी न बदलने वाला माता का परंपरागत अर्पण नरियल है। यद्धपि समय और सुरक्षा कारणों
से तीर्थ यात्रियों को नारियल अर्पण निश्चित स्थल से आगे नहीं ले जाने दिया जाता।..और
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प्राचीन मूल गुफा और नई गुफा
पवित्रतम स्थल तक पहुंचने के रास्ते में एक छोटे से आंगन की तरह का उभरा हुआ ढांचा
है जिसके दाईं ओर गुफा का मुंह है। यह मूल गुफा है जो पिण्डियों की तरफ जाती है।
पुराने समय में यात्री पवित्रतम स्थल तक जाने के लिए इसी गुफा का उपयोग करते थे।
आजकल यह गुफा वर्ष के अधिक समय तक बंद रखी जाती है। क्योंकि यह गुफा बहुत तंग है।
पवित्रतम स्थल तक पहुंचने में अकेले आदमी को भी इसे पार करने में कई मिनटों का समय
लग जाता है।..और अधिक..... More...
आभूषणों से साज सज्जा
पवित्र मंदिर की खोज के समय से ही धीरे धीरे पवित्र पिण्डियों की आभूषणों से साज
सज्जा होती रही थी। अनेक श्रद्धालुओं ने पवित्र पिण्डियों की आभूषणों से साज सज्जा
के लिए आभूषण, मुकुट, छत्र, मूर्तियों आदि को अर्पित किया हुआ है। दस प्रकार की
आभूषणों से साज सज्जा वर्षों से चली आई है और वास्तव में चढ़ावे की यह प्रत्येक वस्तु
लगभग अनछुई रखी हुई थी। राजाओं द्वारा चढ़ाई गई और पवित्रतम स्थल में रखी गई कई
मूर्तियां और बुत पिण्डियों के एकदम पीछे रखे दिखाई देते थे।......और
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अमृत
कुण्ड और चरण गंगा
बाहर निकलने की टन्नल के बिलकुल बाहर बाएं हाथ की तरफ अमृत कुण्ड है। माता जी के
चरणों में बहने वाले जल को नलों के द्वारा इस कुण्ड में डाला जाता है। माता जी के
दर्शनों को आने वाले यात्री इस पवित्र जल को जिसे चरण अमृत भी कहा जाता है , बोतलों
में भर कर अपने साथ ले जाने को महत्व देते हैं। इस चरणामृत से वह अपने घरों का
शुद्धीकरण करते हैं और कई प्रकार की बिमारियों के इलाज के लिए प्रयुक्त करते
हैं।.......और अधिक..More...
प्रसाद
बाहर निकलने की टन्नल के बिलकुल बाहर अमृत कुण्ड के थोड़ा परे प्रसाद कांऊटर लगा हुआ
है। यहां पर मंदिर के पुजारी श्रद्धालुओं को माता के आशीर्वाद के रूप में प्रसाद की
थैलियां दे देते हैं। प्रसाद की प्रत्येक थैली में मिश्री के प्रसाद के साथ पवित्र
पिण्डियों के चित्रांकण वाला वरदान स्वरूप सिक्का होता है जिसे खजाना कहा जाता है।
ऐसा विश्वास किया जाता है कि खजाना प्रसाद सौभाग्य का प्रतीक है और श्रद्धालु इस
सौभाग्यशाली प्रतीक सिक्के को अपनी धन की तिजौरी, घर के मंदिर या अपने घर या दुकान
में महत्वपूर्ण स्थानों में संभाल कर रखते हैं। यह केवल विश्वास ही नहीं बल्कि पक्की
बात है कि यहां भी यह खजाना प्रसाद रखा गया है वहां यह स्मृद्धि और सौभाग्य को लाता
है।.......और अधिक...... More...
नारियल वापिसी कांऊटर
तीर्थ यात्री याद रखें कि उन्होंने नारियल प्रसाद प्रतीक्षा हाल में मंदिर के पुजारी
के सपुर्द किया था और उसके बदले में एक टोकन प्राप्त किया था। नारियल प्रसाद कांऊटर
पर यह टोकन मुद्रा का काम करेगा, टोकन के बदले नारियल प्रसाद वापिस लिया जा सकेगा।
यह कांऊटर बाहर आने वाले रास्ते की दायीं ओर स्थित है।...और
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गुफा के अंदर अन्य दर्शन
माता की पवित्र गुफा लगभग 98 फुट लंबी है। गुफा के अंदर पवित्र पिण्डियों के प्रमुख
दर्शनों के इलावा पिण्डियों के इर्द गिर्द पवित्र गुफा के अंदर और बाहर कई अन्य
दर्शन भी हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पवित्र गुफा में उपस्थित 33 करोड़ (330
लाख) देवी देवताओं के दर्शन होते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि किसी न किसी समय
33 करोड़ देवी देवताओं में से प्रत्येक ने पवित्र गुफा के भीतर माता रानी की पूजा की
है और उन्होंने गुफा में अपना कोई न कोई प्रतीक चिन्ह छोड़ दिया है। यह भी विश्वास
किया जाता है कि प्रातः और संध्या के पूजन और प्रत्येक वेला की आरती में ये सभी देवी
देवता माता रानी के समक्ष नमन करने पवित्र गुफा में पहंुचते हैं।....और
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भवन पर अन्य दर्शन
माता की पवित्र गुफा में पवित्र पिण्डियों के दर्शनों के इलावा भवन क्षेत्र में
अन्य दर्शन भी हैं। इन दर्शनों में एक गुफा में भगवान शिव के शिवलिंग के दर्शन, माता
दुर्गा, भगवान शिव, लक्ष्मण और सीता सहित राम, भगवान हनुमान आदि के दर्शन शामिल
हैं। ये दर्शन भवन परिसर में स्थित मंदिरों में भिन्न भिन्न स्थानों पर होते हैं।
भवन में इन मंदिरों की स्थिति की ओर संकेत करने वाले बोर्ड लगाए गए हैं जो यात्रियों
को मंदिरों की स्थिति की जानकारी देते हैं।....और
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