पवित्र मंदिर की खोज के समय से ही धीरे धीरे पवित्र पिण्डियों की आभूषणों
से साज सज्जा होती रही थी। अनेक श्रद्धालुओं ने पवित्र पिण्डियों की
आभूषणों से साज सज्जा के लिए आभूषण, मुकुट, छत्र, मूर्तियों आदि को
अर्पित किया हुआ है। इस प्रकार की आभूषणों से साज सज्जा वर्षों से चली
आई है और वास्तव में चढ़ावे की यह प्रत्येक वस्तु लगभग अनछुई रखी हुई
थी। राजाओं द्वारा चढ़ाई गई और पवित्रतम स्थल में रखी गई कई मूर्तियां
और बुत पिण्डियों के एकदम पीछे रखे दिखाई देते थे। इन आभूषणों से
पवित्रमत स्थल ढक रहा था। इससे कई यात्रियों की शिकायत रहती कि साज
सज्जा और आभूषणों से पवित्र पिण्डियां ढक गई हैं।
श्राइन बोर्ड की स्थापना के समय यह निर्णय लिया गया कि पवित्र पिण्डियों
के पीछे पर्दा कर दिया जाए और प्रतिदिन की साज सजा के लिए कुछ फूलों और
कुछ आभूषणों का प्रयोग किया जाए ताकि यात्रियों को पवित्र पिण्डियां
स्पष्ट दिखाई दें और अच्छे से दर्शन हो सकें। पर्दों और थोड़े फूलों के
उपयोग से मुख्य दर्शनों के बारे में यात्रियों को सूचनाएं और हिदायतें
देने की मेहनत के अच्छे परिणाम सामने आए और यात्रियों ने अच्छे और
संतोषजनक दर्शन होने की सूचनाएं दी।
सन 2000-01 में श्रद्धालुओं के निरंतर आग्रह और श्राइन बोर्ड की मेहनत
के बलबूते हीरों और कीमती पत्थरों सहित 52 किलोग्राम शुद्ध सोने से
पवित्र पिण्डियों की फिर से पूरी साज सज्जा की गई। पवित्र पिण्डियों के
इर्द गिर्द का चौंतड़ा और पवित्र गुफा के बिलकुल बाहर आंगननुमां ढांचे
का पुनः निर्माण संगमरमर के पत्थर से किया गया। 31 जनवरी 2001 को यह
सारा कार्य पूरा होने पर पूजन और हवन करने के बाद आभूषणों और साज सज्जा
की वस्तुओं को माता जी के चरण कमलों में प्रस्तुत कर दिया गया। पवित्र
गुफा में भारी आभूषण, छत्र और अन्य वस्तुओं के अर्पण के लिए श्रद्धालुओं
से लगातार निवेदन आते हैं। छोटे आभूषण पवित्र गुफा के चौंतड़े पर रखे
ज्यूलरी बाक्स में डाले जा सकते हैं जबकि बड़े आभूषण श्राइन बोर्ड के
कटरा स्थित कार्यालय में या मुख्य भवन में पक्की रसीद लेकर जमा करवाए
जा सकते हैं। ये भारी आभूषण बड़ी सावधानी से स्ट्रांगरूम में संभाल लिए
जाते हैं और बारी बारी से पिण्डियों को सजाने आदि के काम आते रहते हैं।
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