यात्रियों को पुनः स्मरण करना है कि उन्होंने यात्रा आरम्भ करने से
पूर्व , यात्रा रजिस्ट्रेशन कांऊटर , कटरा से यात्रा रजिस्ट्रेशन पर्ची
प्राप्त कर ली है। इस पर्ची को बाणगंगा में चैक करवा कर मोहर लगवा ली
है कि नहीं। इस पर्ची की सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका भवन पर होती है
जहां इस पर्ची को पुनः वैद्य किया जाता है और यात्री को जत्था नम्बर (ग्रुप
नम्बर) दिया जाता है। यात्रा पर्ची कांऊटर, सामान जांच चौकी (लगेज चैक
पोस्ट) के एकदम निकट बायीं ओर स्थित है। यहां पर यात्रा पर्ची पर जत्था
नम्बर लगा दिया जाता है। इसी जत्था नम्बर से यात्री का दर्शन क्रम और
दर्शन से पूर्व प्रतीक्षा का समय निश्चित हो जाता है।
जैसा कि पहले ही विवरण दिया गया है कि श्री माता वैष्णो देवी जी की गुफा
में पवित्र दर्शन चट्टान पर बनी प्राकृतिक पिण्डियों के रूप में होते
हंै न कि किसी चित्र या मूर्ति के रूप में। गुफा के भीतर स्थान तंग होने
के कारण गुफा में अधिक लोगों द्वारा प्रार्थना, पूजा करने की बंदिश है
इसलिए दर्शनों का प्रबंध यात्रियों की लगातार चल रही पंक्ति के रूप में
होता है। ग्रुपिंग कांऊटर पर पहुंचने के आधार पर 200 यात्रियों के समूह
का एक जत्था बना लिया जाता है और प्रत्येक जत्था एक एक करके बारी बारी
दर्शन पंक्ति में बुलाया जाता है।
जो जत्था किसी दिए हुए समय पर दर्शन कर रहा होता है करंट ग्रुप कहलाता है।
करंट ग्रुप और यात्री को दिए गए नम्बर के आधार पर यात्रियों को पता चलता
है कि उन्हें दर्शन से पूर्व कितना समय प्रतीक्षा करनी होगी। साधारण
दिनों में या मध्यम भीड़ के दिनों में यात्री भवन पर पहुंचते ही दर्शन
कर सकता है। जबकि भारी भीड़ के दिनों में कई बार किसी को 9-10 घण्टे
जागृत रह कर प्रतीक्षा भी करनी पड़ती है जब तक कि उसके ग्रुप को दर्शनों
के लिए बुलाया न जाए।
किसी भी रूप में, भीड़ चाहे जैसी भी हो , प्रत्येक
यात्री को भवन पर पहुंचते ही जत्था नम्बर (ग्रुप नम्बर) ले लेना चाहिए
और इसके बाद ही उसे किसी अन्य कार्य के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
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