पवित्र मार्गः नया या वैकल्पिक मार्ग
पुराना रास्ता कई स्थानों पर बहुत तंग है और कहीं कहीं तो खड़ी चढ़ाई है। इसलिए भवन
तक जाने के लिए नया वैकल्पिक या पूरक रास्ता बनाने का निर्णय लिया गया था जिससे
चढ़ाई थोड़ी कम हो गई है और रास्ता खुला एवं छोटा हो गया है......और
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बाण
गंगा
बाण गंगा नामक स्थान बाण गंगा नामक छोटे से नाले के किनारे समुद्र तल से 2700 फुट
की ऊंचाई पर स्थित है। यात्री कटरा से भवन तक की पैदल यात्रा चलता है तो रास्ते पर
बाण गंगा पहला प्रमुख स्थल है। पौराणिक कथा के अनुसार माता वैष्णो लंगूर वीर को साथ
लिए त्रिकुटा पर्वत पर अपने निश्चित आवास की ओर जा रहीं थीं कि लंगूर वीर को प्यास
लग गई । माता ने जमीन पर तीर मारा जिस से पानी का झरना फूट निकला......और
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चरण पादुका
बाण गंगा से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित चरण पादुका के प्राचीन
मंदिर के साथ भी माता वैष्णो देवी की पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के
अनुसार इस स्थान पर माता कुछ क्षणों के लिए रुकी और पीछे देखने लगी, यह जानने के
लिए कि क्या भैरों नाथ अब भी उसका पीछा कर रहा है या नहीं। कुछ क्षण वहां रुकने के
कारण माता जी के पांवों के निशान वहां पर खुद गए। इसलिए इस स्थान का नाम चरण पादुका
पड़ा......और अधिक.......
अद्धकुआरी
अद्धकुआरी
शब्द का अर्थ है अनंत कुआंरी। यह विश्वास किया जाता है कि इस स्थान पर माता जी ने
गुफा में रहकर 9 महीने तक भगवान की उपासना की और जब भैरोंनाथ ने उन्हें गुफा के
भीतर से खोज लिया तो वह अपने त्रिशूल से गुफा में से रास्ता बना कर भवन की ओर चली
गइंर्। अद्धकुआरी यात्रा का मध्य स्थल भी है और बहुत सारे यात्री यहां रुक कर कुछ
देर आराम करते हैं और स्वयं को तरोताजा कर लेना पसंद करते हैं।......और अधिक...
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हिमकोटि
हिमकोटि अद्धकुआरी से 2.75 किलोमीटर की दूरी पर नये यात्रा मार्ग पर स्थित है। भवन
के रास्ते पर स्थित हिमकािेट सुंदर स्थलों में से एक है। इस स्थल से सांस रोककर
समूची घाटी के चिताकर्षक दृश्यों को देखा जा सकता है। यद्धपि इस स्थान के साथ कोई
परंपरागत या धार्मिक महत्व नहीं जुड़ा हुआ है तदपि इस स्थान का प्राकृतिक सौंदर्य
तीर्थ यात्रियों को अलौकिक और रहस्यात्मक रोमांच से भर देता है। श्री माता वैष्णो
देवी श्राइन बोर्ड ने यहां एक दृश्य स्थल, रेस्तरा और डोसा कांऊटर विकसित किया हुआ
है। यहां पर भोजन के साथ साथ डिब्बा बंद और पकाया हुआ भोज्य, गर्म और शीतल पेय,
अन्य महत्वपूर्ण वस्तुएं, चिकित्सा संबंधी सामान, आक्सीजन सिलेण्डर, कैसेट्स आदि
उपलब्ध रहती हैं। यहां पर आराम करने, तनाव कम करने के साथ साथ प्राकृति के सौंदर्य
का आनंद उठाने के लिए काफी जगह है। हिमकोटि को दृश्य स्थल के रूप में और अधिक
विकसित करने के लिए यहां एक अप्राकृतिक तालाब, एक बगीचा और एक ध्यान केन्द्र भी
स्थापित किया जा रहा है।
सांझीछत
सांझीछत
तीर्थयात्रियों के लिए भवन तक के पैदल रास्ते पर सबसे ऊंचा स्थल है। यह स्थान
समुद्र तल से 6200 फुट की ऊंचाई पर स्थित है और नीचे प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर
दृश्य फैला हुआ है। इस स्थान से यात्रा का अंतिम पड़ाव लगभग 2 किलोमीटर आगे है। इस
स्थान पर हैलीपैड भी स्थित है।......और
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भैरों घाटी
माता वैष्णो देवी जी के पवित्र मंदिर की यात्रा पूरी करने के बाद तीर्थ यात्रियों
का अगला पड़ाव भैरों मंदिर होता है। इस प्राचीन मंदिर का महत्व इस के जुड़ी एक
पौराणिक कथा के कारण भी है। भैरों नाथ के पश्चाताप पर करुणा करते हुए सर्वशक्तिमान
माता ने उसे क्षमा करते हुए आशीर्वाद दिया और वरदान दिया कि भैरों के मंदिर का
दर्शन माता जी की तीर्थ यात्रा के साथ जुड़ा रहेगा। इसलिए माता वैष्णो देवी जी के
पवित्र दर्शनों के उपरांत वापसी पर तीर्थ यात्रियों द्वारा भैरों मंदिर में पूजा
उपासना करने पर ही माता वैष्णो देवी जी की पवित्र यात्रा पूर्ण मानी जाती है।..और
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भवन पर पहुंचना

पवित्र भवन-पवित्रतम स्थल-पवित्र गुफा तीर्थ यात्रियों का अंतिम लक्षित स्थल है।
पवित्र गुफा के अंदर माता जी ने अपने आप को पवित्र पिण्डियों के रूप में प्रकट किया
हुआ है। पिण्डियों में माता रानी ने अपने तीन स्वरूपों -महालक्ष्मी, महाकाली और
महासरस्वती को प्रकट किया हुआ है।..और अधिक...
कटरा से भवन तक के
रास्ते का नक्शा |