श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड
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गुफा के अंदर अन्य दर्शन

माता की पवित्र गुफा लगभग 98 फुट लंबी है। गुफा के अंदर पवित्र पिण्डियों के प्रमुख दर्शनों के इलावा पवित्र गुफा के अंदर पिण्डियों के इर्द गिर्द और गुफा बाहर कई अन्य दर्शन भी हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पवित्र गुफा में उपस्थित 33 करोड़ (330 लाख) देवी देवताओं के दर्शन होते हैं। ऐसा विश्वास किया जाता है कि किसी न किसी समय 33 करोड़ देवी देवताओं में से प्रत्येक ने पवित्र गुफा के भीतर माता रानी की पूजा की है और उन्होंने गुफा में अपना कोई न कोई प्रतीक चिन्ह छोड़ दिया है। यह भी विश्वास किया जाता है कि प्रातः और संध्या के पूजन और प्रत्येक वेला की आरती में ये सभी देवी देवता माता रानी के समक्ष नमन करने पवित्र गुफा में पहंुचते हैं।

पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार पर बायें हाथ की ओर वक्रतुण्ड गणेश जी का प्रतीक है, भगवान गणेश जी के चिन्ह प्रतीक के निकट ही सूर्य देव और चंद्र देव के चिन्ह हैं। पवित्र गुफा में प्रवेश करते समय प्रत्येक श्रद्धालु भैरोनाथ के लगभग 14 फुट लम्बे धड़ को पार करता है। दिव्य माता रानी के शक्तिशाली प्रहार से भैरोंनाथ का सिर पवित्र गुफा के निकटवर्ती पर्वत की चोटी पर दो किलोमीटर की दूरी पर गिरा और उसका निर्जीव धड़ पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार पर गिर पड़ा।
भैरों के धड़ के बाद लौंकड़ा बीर के रूप में प्रसिद्ध भगवान हनुमान जी का प्रतीक चिन्ह है। इसके बाद यात्री माता रानी के चरणों से बहने वाली पौराणिक नदी चरण गंगा आ जाता है। इस स्थान से परे पुरानी गुफा के रास्ते माता जी के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को चरण गंगा के जल में से चलना पड़ता है। लौंकड़ा बीर से लगभग 23 फुट परे ऊपर बाएं हाथ की ओर गुफा की छत बाहर की ओर लटकी हुई है। और इस गुफा का सारा भार शेष नाग के असंख्य सिरों (फनों) पर टिका हुआ प्रतीत होता है। शेषनाग के एकदम नीचे माता रानी का हवन कुण्ड है। हवन कुण्ड के निकट शंख, चक्र, गदा और पदम के प्रतीक चिन्ह हैं।

 
 

ऊपर गुफा की छत को लगभग छूते हुए पांचों पाण्डवों, सप्तऋषियों, दिव्य गाय कामधेनु के थनों के प्रतीक चिन्ह हैं। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह हैं। तीन फुट आगे एक उभार पर एक खम्भा देखा जा सकता है, जिसे पौराणिक भक्त प्रह्लाद ने कस के पकड़ा था । इसके नीचे जल के स्तर पर असंख्य रहस्यात्मक चिन्हों वाला यन्त्र है। इस यन्त्र से 22 फुट आगे शेर का पंजा है जो माता रानी के वाहन को प्रतीकित कर रहा है। गुफा के प्रवेश द्वार से शेर के पंजे तक की दूरी 59 फुट की है। शेर के पंजे से 13 फुट की दूरी पर एकदम श्रद्धालु के सिर के ऊपर शेष नाग का मूल फन का प्रतीक है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस स्थान पर शेषनाग ने गुफा का भार अपने फन पर उठा रखा है। इससे 6 फुट और आगे बाएं हाथ की ओर शंकर और गौरी के प्रतीक चिन्ह हैं।
इससे 13 फुट आगे माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, माता वैष्णो और माता महा सरस्वती जी की पवित्र पिण्डियां हैं। पवित्र पिण्डियों के दायिनी तरफ ऊपर की ओर भगवान गणेश, सूर्य देव, चंद्र देव और भगवती अन्नपूर्णा के प्रतीक चिन्ह देखे जा सकते हैं। पवित्र पिण्डियों से थोड़ा सा पीछे दाएं हाथ बैठे हुए सिंह राज का प्रतीक चिन्ह देखा जा सकता है। इससे थोड़ा सा आगे माता भगवती का वर मुद्रा में उठा हुआ सम्पूर्ण संसार को आशीर्वाद देता हुआ हाथ है। माता के वरद हस्त के पीछे सती के बलिदान की रोमांचक कथा है। शास्त्रों में कहा गया है कि माता सती का हाथ कश्मीर के प्रदेश में शक्तिपीठ बनाता हुआ गिर पड़ा था। जबकि कुछ स्रोत ऐसे भी हैं जो यह मानते हैं कि जहां माता सती का हाथ गिरा था वह स्थान यही त्रिकुटा पर्वत पर पवित्र गुफा वाला स्थान है। इस प्रकार पवित्र गुफा में स्थित वरद हस्त माता सती की कथा के साथ सम्बंध स्पष्ट करता है। पवित्र पिण्डियों के बिलकुल सामने भगवान पशुपति नाथ जी का प्रतीक चिन्ह है।
श्रद्धालुओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिकतर दर्शन तभी संभव हो सकते हैं जब वास्तविक गुफा से भीतर जाया जाए। जबकि भारी भीड़ होने पर अधिकतर नई टन्नलों का उपयोग किया जाता है और वास्तविक गुफा कम भीड़ वाले दिनों में खोली जाती है। सभी दर्शनों को प्राप्त करने के इच्छुक यात्रियों को कम भीड़ वाले दिनों को ध्यान में रखते हुए अपनी यात्रा की योजना बनानी चाहिए।
इसके बाद भगवान हनुमान, जिसे लौंकड़ा बीर कहा जाता है, का प्रतीक चिन्ह देखा जा सकता है। पवित्र पिण्डियों के आधार (चरणों) से जल उछलता हुआ सा बाहर निकलता है और पवित्र गुफा में से बह आता है। इस पवित्र जल को चरण गंगा के नाम से जाना जाता है। इस बहते हुए पवित्र जल को श्रद्धालु बोतलों और छोटे डिब्बों में भर कर ले जाते हैं। यही जल स्नान घाट की ओर भी ले जाया गया है और श्रद्धालु पवित्र पिण्डियों के दर्शन के लिए लगने वाली पंक्ति में शमिल होने से पहले इस पवित्र जल में स्नान करते हैं।

 
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