श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड आधिकारिक वेबसाइट
परिचय
माता का बुलावा
श्री माता वैष्णो देवी के उद्भव और मंदिर की खोज से जुड़ी अनेक तरह की गाथाएं प्रचलित हैं तदपि इस बात पर सभी सहमत प्रतीत होते हैं कि लगभग 700 वर्ष पूर्व इस मंदिर की खोज पण्डित श्रीधर द्वारा की गई जिसके भण्डारे के आयोजन मे माता जी ने सहायता की थी। जब माता भैरों नाथ से बचने के लिए भण्डारे को मध्य में छोड़ कर चली गई तो कहा जाता है कि पण्डित श्रीधर को ऐसा प्रतीत हुआ जैसे उन्होने अपने जीवन की प्रत्येक वस्तु गंवा दी । वह बहुत दुखी रहने लगे और भोजन और जल ग्रहण करना तक छोड़ दिया। वह अपने ही घर के एक कमरे में बंद हो गये और माता जी से पुनः प्रकट होने के लिए बड़े विनम्र भाव से निवेदन करने लगे ।
तभी माता वैष्णवी श्रीधर के सपने में प्रकट हुई और उसे त्रिकूट पर्वत की तलहटियों में स्थित पवित्र गुफा को ढूंढने के लिए कहा। माता ने उस से अपना व्रत खोलने का आग्रह किया और उसे पवित्र गुफा का रास्ता भी दिखाया। माता की बात मान कर श्रीधर पर्वतों में स्थित उस पवित्र गुफा को ढूंढने के लिए चल पडे । कई बार उन्हे लगा कि वह रास्ता भूल गए है, परंतु तभी उनकी आंखों के सामने सपने में देखा वह दृष्य पुनः प्रकट हो जाता, अंततः वह अपने लक्ष्य पर पंहुच गए। गुफा में प्रवेश करने पर उन्हे तीन सिरों में ऊपर उठी हुई एक शिला मिली। उसी क्षण माता वैष्णो देवी उनके समक्ष साक्षात् प्रकट हुईं ( एक अन्य कथा में कहा गया है कि माता महा सरस्वती, माता महा लक्ष्मी एवं माता महा काली की महान दिव्य ऊर्जाएं गुफा में प्रकट हुई) और उसे शिला के रूप में तीन सिरों ( पवित्र पिण्डियों ) की पूजा करने का आदेश दिया। श्रीधर को गुफा में और भी अनेक पहचान चिन्ह मिले। माता जी ने श्रीधर को चार पुत्रों का वरदान दिया और उसे उन के उस स्वरूप की पूजा करने का अधिकार दे दिया। माता ने श्रीधर को पवित्र मंदिर की महिमा का प्रचार प्रसार करने के लिए कहा। उसके बाद श्रीधर ने अपना संपूर्ण जीवन माता जी की पवित्र गुफा में माता रानी की सेवा और भक्ति में बिता दिया।