महासरस्वती
दर्शक
के बाईं ओर वाली पिण्डी को माता महासरस्वती के रूप में पूजा जाता है।
माता महासरस्वती निर्माण की सर्वोच्च ऊर्जा है। ध्यानपूर्वक देखने पर
यह पिण्डी श्वेत रंग की दिखाई पड़ती है। श्वेत रंग महासरस्वती से
सम्बद्ध रंग माना जाता है। सृजन की सर्वोच्च ऊर्जा महासरस्वती है।
माता सरस्वती सृजन, ज्ञान, बुद्धिमता, सदाचार, कला, अध्ययन, पवित्रता
और निर्मलता की द्योतक है। माता महासरस्वती सत्व गुण यानि पवित्रता
के गुण का प्रतिनिधित्व करती है।
श्री माता वैष्णो देवी जी को इन तीनों सर्वोच्च ऊर्जाओं का अवतार माना जाता है।
ऊपर बताए तीनों गुणों के सभी प्राणियों में अंश रहते हैं और उनके व्यवहार इन्हीं
गुणों से निश्चित होते हैं। उनके स्वभाव में विद्यमान ये गुण उनके स्वभाव को
संचालित करते हैं। परंतु एक सार्थक जीवन जीने के लिए तीनों गुणों में उचित संतुलन
का होना आवश्यक है । पवित्र गुफा इन तीनों ऊर्जाओं का स्रोत है। पवित्र गुफा इन
शक्तियों को उत्पन्न करने में प्राणी को सहायता देती है और दुर्लभ संतुलन को
स्थापित करने में प्राणी की सहायता करती है। यही वह तथ्य है जो माता वैष्णो देवी
जी की पवित्र गुफा को समूचे संसार में विशिष्ट बनाता है।
यह दुबारा बता दें कि पवित्र गुफा के भीतर शिला में बनी प्राकृतिक पिण्डियों के
रूप में माता जी के दर्शन होते हैं। भीतर कोई बुत, मूर्ति या चित्र नहीं है। सारे
रास्ते में और भवन पर अनेक चित्र लगे हुए हैं जो गुफा के भीतर होने वाले दर्शन के
रूप को समझाने के लिए लगाए गए हैं। यात्रियों को इन्हें ध्यान से देखना चाहिए
क्योंकि ये चित्र उन्हें गुफा के भीतर पिण्डी दर्शन को समझाने के उद्धेश्य से ही
लगाए गए हैं। जबकि पवित्र गुफा में तीन पिण्डियों के दर्शन ही मूल दर्शन हैं। गुफा
में अन्य दर्शन भी हैं।
पवित्र गुफा में अन्य दर्शनों के लिए यहां दबाएं।
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भैरों दर्शन के लिए यहां दबाएं
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पवित्र गुफा के अतिरिक्त भवन के क्षेत्र में अन्य दर्शनों के लिए यहां दबाएं।
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