श्री माता वैष्णो जी के पवित्र मंदिर के लिए यात्रा
का आरम्भ माता
के बुलावे से
होता है। यह विश्वास मात्र ही नहीं बल्कि सभी भक्तों का सशक्त अनुभव है कि
दिव्य माता अपने बच्चों को संदेशे भेजती है। और जब भी व्यक्ति यह संदेशे
प्राप्त कर लेता है तो मां का असीम प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त करने के
लिए यात्रा पर खिचा चला आता है। क्षेत्रीय लोक साहित्य में प्रचलित नारा
’’ मां आप बुलांदी ’’ इसी भाव को बड़ी सुंदरता से स्पष्ट कर रहा है जिसका
अभिप्राय यह है कि माता रानी स्वयं बुलाती है। पवित्र मंदिर की यात्रा
करने वाले लगभग सभी यात्रियों का यह अनुभव रहता है कि माता के बुलावे
पर व्यक्ति को यात्रा के लिए एक कदम उठाने की जरुरत होती है और फिर सब
कुछ उसी माता पर छोड़ देने पर माता के दिव्य आशीर्वाद से उसकी यात्रा
पूर्ण हो जाती है।
साथ ही साथ यह भी विश्वास किया जाता है कि जब तक मां का बुलावा न आए
कोई भी चाहे वह कितना ही बड़ा, ऊंचा या प्रभावशाली क्यों न हो वैष्णो
माता के पवित्र मंदिर की यात्रा पर नहीं जा पाता और न ही माता का
आशीर्वाद प्राप्त कर पाता है।
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