पवित्र मंदिर के प्रबंध को सन् 1986 ई0 में श्री माता वैष्णो देवी
श्राइन बोर्ड द्वारा अपने हाथों में लेने से पूर्व भैरों मंदिर
उपेक्षित पड़ा हुआ था। मंदिर की ओर जाने वाला टूटा फूटा उबड़ खाबड़ पैदल
रास्ता कच्चा और बहुत बुरी हालत में था। इस रास्ते पर चढ़ाई चढ़ना थका
देने वाला बड़ा दूभर कार्य था। प्रबंध संभालने के बाद इस क्षेत्र के
विकास के लिए विशेष जोर दिया गया। विशेषकर इस रास्ते को चौड़ा करने, इसकी
सुंदरता बढ़ाने, सीढ़ियों के पुनः निर्माण करने, वर्षालय (रेन शैल्टर) और
शौचालय आदि के निर्माण की ओर विशेष ध्यान दिया गया। अब यह सारा रास्ता
हाई पावर सोडियम वेपर लैम्पों से जगमगाता रहता है। पीने के पानी का
उचित प्रबंध किया गया है। यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालयों का
निर्माण किया गया है। उचित दरों पर पेय और भोज्य पदार्थ जैसे बिस्कुट
और स्नैक्स आदि उपलब्ध कराने के लिए ओ ऐम नामक एक अल्प आहार इकाई आरम्भ
की गई है। मंदिर के क्षेत्र को संगमरमर की टाइलें आदि लगा कर और प्रवेश
स्थल को सुंदर स्लैबों से सजा कर खूबसूरत बना दिया गया है। इन सभी यत्नों
से तीर्थ यात्रियों के लिए भैरों मंदिर की यात्रा को और अधिक
सुविधापूर्ण और स्मरणीय बना दिया है।
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