अर्पण
माता को परंपरागत रूप से किया जाने वाला अर्पण पवित्र गुफा में ले जाने की अनुमति
है, उसमें लाल चुनरी, साड़ियां, चोले, चांदी या सोने के आभूषण, सूखे मेवे, पुष्प आदि
वस्तुएं रहती हैं।
अर्पण की ये परंपरागत वस्तुएं भेंटे कहलाती हैं। एक विशेष भेंट प्रसाद, फुल्लियां,
मखाना, चुन्नी, मौली, नारियल, पूजा सामग्री इत्र, चूड़ियां और सिंदूर सहित बनती है।
भवन में श्री माता वैष्णों देवी श्राइन बोर्ड की भवन पर बिना लाभ हानि की नीति पर
संचालित भेंटों की दुकानें हैं जिन्हें भेंट शॉपस कहा जाता है, जहां पर किफायती
मुल्यों पर प्रसाद, भेंटें और अर्पण आदि का सामान उपलब्ध रहता है। इसलिए यात्रियों
के लिए यह जरूरी नहीं कि वे कटरा से भेंट खरीदें और फिर भवन तक के सारे रास्ते में
साथ लेकर चलें। भवन पर शानदार तरीके से जूट के बने पर्यावरण अनुकूल थैलों में पैक
की हुई उचित मुल्य पर भेंटें उपलब्ध हैं। उच्च श्रेणी की भेंटें भी शीघ्र ही आरंभ
करने की संभावना है। श्रद्धालु इन भेंट शॉपस से पानी की बोतलें भी खरीद सकते हैं
जिनमें वह दर्शनों के उपरांत माता रानी के चरणों से बहने वाली चरण गंगा का जल भर कर
ले जा सकते हैं।
श्राइन बोर्ड ने गारंटी शुदा शुद्ध सोने और चांदी के सिक्के भी विकसित कर लिए हैं।
इन सिक्कों पर एक तरफ माता रानी की पवित्र पिण्डियों का चित्र अंकित है और दूसरी
तरफ मां दुर्गा का। ये सिक्के पवित्र गुफा के एकदम बाहर; प्रसाद कांऊटर पर और भवन
में स्थित सभी बैंकों में उपलब्ध रहते हैं।
इस
समय श्राइन बोर्ड गरंटीशुदा विभिन्न श्रेणियों के शुद्ध चांदी के छत्र बनवा कर भेंट
के लिए यात्रियों को मुहैय्या करवाने की योजना पर काम कर रहा है। आशा की जाती है कि
शीघ्र ही दिव्य माता रानी को छत्र भेंट चढ़ाने वाले यात्रियों के लिए यह सुविधा भेंट
शॉप पर उपलब्ध होगी।
मिठाइयां, मीठे भोज्य पदार्थ आदि पवित्र गुफा में ले जाने की मनाही है।
तीर्थयात्रियों को चढ़ावे के लिए इस प्रकार की वस्तुओं को खरीदने से बचना चाहिए।
सुरक्षा कारणों से नारियल ले जाने की भी अनुमति नहीं है, जैसा अन्य मंदिरों में
आमतौर पर किया जाता है पवित्र गुफा के निकट कहीं भी नारियल फोड़ने की इजाजत नहीं है।
माता के चढ़ावे या भेंट में नारियल का महत्व बहुत अधिक है इसलिए इसे नकारा भी नहीं
जा सकता। श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा में प्रवेश करने से पूर्व प्रमुख प्रतीक्षा
हाल में लगाए गए कांऊटर पर नारियल जमा करवा देना होता है , जिसके बदले में उन्हें
टोकन मिलता है । जब वह दर्शन करके पवित्र गुफा से बाहर निकलते हैं तो वे अलग से लगे
प्रसाद कांऊटर पर टोकन दे कर नारियल वापिस ले सकते हैं।
सारा
नकद चढ़ावा नियत स्थानों पर रखे सीलबंद दान पात्रों में डालना चाहिए। नकद या वस्तु
रूप में कोई भी चढ़ावा मंदिर के किसी पुजारी या किसी अन्य व्यक्ति को देने की अनुमति
नहीं है।
श्रद्धालु कभी भी नकद या वस्तु रूप में चंदा देकर उचित रसीद प्राप्त कर सकता है।
विवरण के लिए, कृपया चंदा विभाग में देखें |