परिचय
माता का बुलावा
तीर्थ यात्रियों की उमड़ती बढ़ती जाती भीड़ को आने जाने वाली खच्चरों के कारण होने वाली असुविधाओं को ध्यान में रखते हुए हाथी मत्था के तीखे ढलान और पुराने तंग पैदल रास्ते पर होने वाली भीड़ को सुविधा प्रदान करने के लिए 1990 ई0 में कम चढ़ाई वाले रास्ते का निर्माण शुरू किया गया। यही रास्ता वैकल्पिक या पूरक रास्ते के नाम से प्रसिद्ध है। सन् 1999 ई0 में इस रास्ते को तीर्थ यात्रियों के उपयोग के लिए खोला गया। यह रास्ता छोटा और कम चढ़ाई वाला है और इस रास्ते से किसी को खच्चर पर जाने की अनुमति नहीं है। यह रास्ता पुराने रास्ते से अधिक सुखदायक है और यात्रियों द्वारा इस रास्ते की काफी प्रशंसा की गई है। वैकल्पिक या पूरक रास्ता बिलकुल अद्धकुआरी के निकट, इंद्रप्रस्थ नामक दृश्य स्थल से आरम्भ होता है और भवन परिसर के बिलकुल निकट पहुंच कर समाप्त होता है। यह रास्ता पुराने रास्ते से 500 मीटर छोटा पड़ता है। यह रास्ता पुराने रास्ते की तुलना में अधिक चौड़ा, चढ़ाई चढ़ने और ढलान उतरने में समतल, पैदल चलने के लिए आसान है। इस रास्ते पर दो दृश्य स्थल और तीन बिक्री केन्द्र/अल्प आहार इकाइयां हैं, जगह जगह पीने के पानी के स्थल बनाए गए है और वाटर कूलर स्थपित किए गए हैं। चाय, काफी और पेय पदार्थों आदि के कई बिक्री केन्द्र स्थापित किए गए हैं। हिमकोटि दृश्य स्थल पर डोसा प्वाइंट भी चलाया जा रहा है। श्रद्धालुओं को साफ सुथरी शौचालय सुविधा प्रदान करने के लिए पूरक रास्ते पर काफी संख्या में शौचालय ब्लाक बनाए गए हैं। रास्ते पर पर्याप्त संख्या में शैल्टर शैड भी बनाए गए हैं। इस रास्ते पर धूआं रहित बैटरी वाहन भी चलते हैं। कमजोर, बिमार और अंगहीन श्रद्धालुओं के लिए इंद्रप्रस्थ (अद्धकुआरी) और मनोकामना भवन से बैटरी वाहन की सुविधा भी उपलब्ध है। इस सुविधा की बुकिंग उपलब्धता के आधार पर होती है।