श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड
आधिकारिक वेबसाइट
 
   
   
       
       
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आरती

देवी की आरती दिन में दो बार उतारी जाती है। पहली बार प्रातःकाल में सूर्योदय के कुछ पूर्व और दूसरी बार संध्या के समय सूर्यास्त के एकदम बाद।

आरती की प्रक्रिया बहुत पवित्र है और देर तक चलती है। सर्वप्रथम पुजारी गुफा के भीतर पवित्र स्थल में स्थित पवित्र देवी की आरती उतारते हैं उसके बाद गुफा के बाहर आरती उतारी जाती है। आरती के आरम्भ से पूर्व पुजारी आत्मशुद्धि एवं आत्मपूजन करते हैं। उसके बाद देवी को जल, दूध, घी (शुद्ध किए हुए मक्खन), शहद और खाण्ड से स्नान करवाया जाता है। फिर देवी को साड़ी, चोला और चुनरी आदि वस्त्र पहनाए जाते हैं और अनेक प्रकार के आभूषणों से उनका शृंगार किया जाता है। यह सारी क्रियाएं अनेक प्रकार के मंत्रों, श्लोकों और भजनों के उच्चारण के साथ पूरी की जाती हैं। परिधान और आभूषण पहनाने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है और उन्हें नैवेध चढ़ाया जाता है। पुजारी अन्य अनेक देवों और देवियों की पूजा करता है क्योंकि यह विश्वास किया जाता है कि आरती के समय सभी देव और देवियां गुफा के भीतर पवित्र स्थल के समक्ष प्रस्तुत रहते हैं। ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है और फिर आरती उतारी जाती है। समूची क्रिया पूर्ण हो जाने के बाद थाल में रखी ज्योति के साथ आरती में प्रस्तुत की गई अन्य वस्तुएं भी थाल सहित बाहर गुफा के मुंह के सामने लायी जाती हैं। और फिर यात्रियों के समक्ष पवित्र गुफा के समक्ष माता जी की आरती उतारी जाती है। जब गुफा के भीतर पवित्रतम स्थल की आरती हो रही होती है तो गुफा के बाहर बैठे श्रद्धालु प्रमुख पंडित के प्रवचन सुनते रहते हैं। जब गुफा के बाहर आरती की क्रिया पूरी हो जाती है तो पुजारी श्रद्धालुओं में चरणामृत और प्रसाद बांटता है।

आरती की यह सारी क्रिया लगभग दो घण्टे में पूरी होती है। इस बीच दर्शन स्थगित रखे जाते हैं। इस समय के बीच गुफा के भीतर जरूरी व्यवस्था होती रहती है।

श्रद्धालु ‘‘श्रद्धा सुमन विशेष पूजा ‘‘ भी कर सकते हैं।

‘‘श्रद्धा सुमन विशेष पूजा‘‘  के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां दबाएं। click here.

 

नया क्या हैt | निविदाएं |  भर्ती  |  अध्ययन रिपोर्ट  |  डाउनलोड  |  हमारे साथ बातचीत
Shri Amarnathji Shrine Board - Official Website Shiv Khori Shrine